गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को एआई से जोड़ने भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल का शुभारंभ

देवभूमि उत्तराखण्ड की लोकभाषाओं गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। इस अवसर पर “भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल (Bhasha AI Portal)” का भव्य शुभारंभ अमेरिका के सिएटल और कनाडा के सरे-वैंकूवर में किया गया।

इस ऐतिहासिक लॉन्च का शुभारंभ उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के वीडियो संदेश के माध्यम से हुआ। मुख्यमंत्री ने इस पहल को “उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक अस्मिता को डिजिटल युग से जोड़ने वाला युगांतकारी प्रयास” बताया और अमेरिका व कनाडा में रहने वाले उत्तराखण्डी प्रवासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति जीवित है। उत्तराखण्ड सरकार सदैव अपनी मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए तत्पर है और इस ऐतिहासिक पहल में पूर्ण सहयोग करेगी।

इस पोर्टल के माध्यम से गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी भाषाओं के लगभग 10 लाख (1 मिलियन) शब्द, वाक्य, कहावतें और कहानियाँ एकत्र की जाएंगी, ताकि AI प्लेटफ़ॉर्म इनसे सीखकर भविष्य में हमारी भाषाओं में संवाद कर सकें। यह ऐतिहासिक लॉन्च देवभूमि उत्तराखंड कल्चरल सोसायटी कनाडा (Devbhoomi Uttarakhand Cultural Society Canada) द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में हुआ, जिसमें लगभग 4000 से अधिक प्रवासी उत्तराखण्डी उपस्थित रहे। इस लॉन्चिंग में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी (वीडियो संदेश), पद्मश्री प्रीतम भरतवाण (लोकगायक, जागर एवं ढोल सागर अकादमी), श्री सचिदानंद सेमवाल (AI आर्किटेक्ट, अमेरिका), श्री अमित कुमार, सोसाइटी के अध्यक्ष श्री बिशन खंडूरी, टोरंटो से श्री मुरारीलाल थपलियाल, एवं भारत दूतावास के प्रतिनिधिगण प्रमुख रूप शामिल हुए।

पद्मश्री प्रीतम भारतवाण ने कर्णप्रयाग (बद्रीनाथ क्षेत्र) से ऑनलाइन जुड़कर अपने संदेश में कहा कि जब तक हमारी भाषा जीवित है, हमारी संस्कृति और हमारी पहचान जीवित है। भाषा बचेगी तो संस्कार भी बचेंगे। उन्होंने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए अपनी जागर एवं ढोल सागर अकादमी की ओर से निरंतर सहयोग देने की घोषणा की।

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