अब तक 1.6 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में लगाई डुबकी, 5 अखाड़ों ने भी किया शाही स्नान, प्रयागराज में जनसमुद्र

महाकुंभ का पहला शाही स्नान आज मकर संक्रांति पर हो रहा है. अमृत स्नान की इस पुण्य बेला में लाखों श्रद्धालु रात से ही मेला क्षेत्र में आने लगे थे. सुबह से ही संगम स्नान शुरू हो गया. मेला क्षेत्र में हर तरफ उल्लास और उमंग का माहौल है. सुबह 6.15 बजे से ही अखाड़ों का स्नान क्रमवार शुरू हो गया. साधु-संन्यासियों का रेला हर-हर महादेव, हर-हर गंगे का उद्घोष करते हुए संगम तट पर बढ़ चला. वहीं संतों के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु मार्ग के दोनों तरफ खड़े रहे. श्रद्धालुओं का जत्था मेला क्षेत्र के सभी मार्गों से गंगा तटों की ओर बढ़ रहा है. 12 बजे तक संगम में 1करोड़ 60 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं. कुंभ में 12 किमी के दायरे में सभी घाटों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा है. वहीं, संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर पर श्रद्धालुओं को आज दर्शन नहीं मिलेगा. जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने इसकी जानकारी दी. अब तक पांच अखाड़ों ने शाही स्नान किया है.

धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान के बाद मकर संक्रांति स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. बस स्टेशन हों या रेलवे स्टेशन, हर तरफ स्नान के बाद वापसी करते श्रद्धालु दिखे. एयरपोर्ट पर भी यात्रियों की भीड़ दिखी. तीनों जोनल रेलवे ने 344 दैनिक व कुम्भ मेला विशेष ट्रेनों का संचालन किया. इनमें से सबसे अधिक 199 ट्रेनें प्रयागराज जंक्शन से चलाई गईं. सिविल लाइंस और जीरो रोड बस अड्डा बंद रहा. इसकी जगह नैनी, झूंसी, बेली कछार और नेहरू पार्क में बने अस्थाई बस अड्डों से बसों का संचालन किया गया. पूर्वांचल के लिए झूंसी, मिर्जापुर व मध्य प्रदेश रूट के लिए नैनी तो कानपुर रूट के लिए नेहरू पार्क से गाड़ियां मिलीं. वहीं रायबरेली और लखनऊ रूट के लिए बेली कछार से बसों का संचालन हुआ. सबसे ज्यादा अयोध्या रूट पर 100 से अधिक बसें चलाई गईं. रोडवेज ने रिजर्व में 500 से अधिक बसों का रखा है.

मकर संक्रांति पर इस बार कोई भद्रा नहीं है. सुबह से शाम तक शुभ रहेगा. भारतीय ज्योतिष अनुसंधान परिषद की प्रयागराज चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी के मुताबिक, इस बार महापुण्यकाल की अवधि सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक रहेगी, जो 1 घंटा 47 मिनट होगी. मकर संक्रांति सूर्य की स्थिति के आधार पर मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान स्नान, दान, और तिल-गुड़ के सेवन से व्यक्ति पुण्य अर्जित करता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति को ‘तिल संक्रांति’ भी कहा गया है. इस दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, नमक और घी का दान विशेष फलदायी माना गया है.

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